भारत पर ट्रंप का टैरिफ बम: क्या अमेरिकी ऑर्डर्स का कैंसिल होना वैश्विक व्यापार युद्ध की आहट है?

0
भारत पर ट्रंप का टैरिफ बम: क्या अमेरिकी ऑर्डर्स का कैंसिल होना वैश्विक व्यापार युद्ध की आहट है?

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति एक बार फिर भारत जैसे विकासशील देशों पर व्यापारिक दबाव बनाने का औजार बनती दिख रही है। खबरों के अनुसार, ट्रंप की संभावित वापसी और उनके द्वारा दिए गए बयान अब अमेरिकी व्यापारिक कंपनियों में अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं, जिसका सीधा असर भारत के निर्यात ऑर्डर्स पर पड़ रहा है। टेक्सटाइल, फार्मा, ऑटो-पार्ट्स, और हैंडीक्राफ्ट जैसे सेक्टर्स से जुड़ी भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों ने हाल ही में बड़ी संख्या में ऑर्डर्स कैंसिल करने या पोस्टपोन करने की जानकारी दी है, जिससे हजारों करोड़ रुपये की डील अधर में लटक गई है। यह परिदृश्य MSME सेक्टर के लिए किसी आपदा से कम नहीं है, जो पहले ही महामारी, महंगाई और जीएसटी से जूझ रहा है। ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति भारत के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है, क्योंकि वह एक बार फिर प्रोटेक्शनिज्म यानी संरक्षणवादी व्यापार नीति को हवा दे रहे हैं, जिसमें अमेरिका को छोड़कर बाकी देशों के लिए आयात-निर्यात संबंध और जटिल बना दिए जाते हैं। यह केवल व्यापार का मामला नहीं रह गया है, बल्कि इससे भारत की आर्थिक स्थिरता, रोजगार बाजार और विदेशी मुद्रा भंडार पर भी असर पड़ सकता है। यदि यह रुख लंबे समय तक जारी रहा, तो भारत को न केवल नई व्यापारिक रणनीति बनानी होगी बल्कि कूटनीतिक स्तर पर अमेरिका से गंभीर वार्ता भी करनी होगी, वरना वह दिन दूर नहीं जब देश का एक बड़ा व्यापारिक वर्ग सड़कों पर अपनी आवाज़ उठाने को मजबूर हो जाएगा।

भूमिका: टैरिफ से ट्रेड तक, क्या भारत को झटका देने लौटे ट्रंप?

डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार की नींव को हिला दिया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की वापसी की आहट के साथ ही “टैरिफ बम” का जिन्न दोबारा बाहर आ गया है। मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के एजेंडे पर चलते हुए ट्रंप एक बार फिर उन देशों पर नजर गड़ाए हुए हैं जो अमेरिका के साथ व्यापार कर रहे हैं — भारत भी उनमें से एक है।

तेजी से कैंसिल हो रहे अमेरिकी ऑर्डर: भारत के लिए खतरे की घंटी

भारतीय निर्यातकों के लिए यह एक बुरे सपने जैसा बनता जा रहा है। टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, फार्मा और ऑटो-पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में अमेरिका से आने वाले ऑर्डर अचानक होल्ड पर चले गए हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की आक्रामक टैरिफ पॉलिसी के डर से अमेरिकी कंपनियाँ अब भारत से आयात को कम कर रही हैं या फिर वैकल्पिक सप्लायर ढूंढ रही हैं।अगर यह सिलसिला जारी रहा तो MSME सेक्टर पूरी तरह धराशायी हो सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव

भारत और अमेरिका के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में बेहतर हुए हैं, लेकिन ट्रंप की नीतियां अक्सर भारत के खिलाफ ‘प्रोटेक्शनिस्ट’ (संरक्षणवादी) रही हैं। ट्रंप पहले भी भारत पर जीएसपी (Generalized System of Preferences) छीनकर झटका दे चुके हैं, जिससे भारत को करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ था।

भारत के लिए तीन बड़ी चुनौतियां

आर्थिक असंतुलन: निर्यात घटने से डॉलर की आमद कम होगी

रोजगार संकट: MSME सेक्टर में छंटनी और फैक्ट्रियां बंद होने का खतरा

भरोसे की कमी: विदेशी निवेशक भारत को लेकर संशय में आ सकते हैं

निष्कर्ष: क्या भारत को फिर से आत्मनिर्भर बनना होगा?

अगर ट्रंप का टैरिफ बम भारत पर गहराता रहा, तो यह सिर्फ एक व्यापारिक समस्या नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आर्थिक संकट का रूप ले सकता है। भारत को आज जरूरत है दृढ़ निर्णयों और तेज़ कूटनीतिक कदमों की — ताकि देश का व्यापार सड़क पर न आ जाए, बल्कि सफलता की राह पर रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed