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हिमाचल में दो भाइयों ने एक ही दुल्हन से की शादी: क्यों होती है ऐसी शादियाँ और क्या यह कानूनी है?

भारत विविधताओं और परंपराओं का देश है। यहां हर राज्य, हर क्षेत्र की अपनी अनूठी संस्कृति और रीति-रिवाज हैं। ऐसा ही एक अनोखा और चौंकाने वाला रिवाज हिमाचल प्रदेश में देखा जाता है, जहाँ दो या दो से अधिक भाई एक ही महिला से विवाह करते हैं। इसे ‘बहुभ्रात विवाह’ (Polyandry) कहा जाता है। यह परंपरा आज की आधुनिक सोच से भले ही टकराती हो, लेकिन इसके पीछे कई ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक कारण छिपे हैं।

इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई?

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर, लाहौल-स्पीति, और कुछ सीमावर्ती तिब्बती प्रभाव वाले इलाकों में बहुभ्रात विवाह की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि यह परंपरा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। द्रौपदी ने पांच पांडवों से विवाह किया था — इसी धार्मिक उदाहरण को आधार बनाकर स्थानीय समाज में यह प्रथा पनपी। धार्मिक मान्यताओं के अलावा, पहाड़ी इलाकों में जीवन की कठोरता और संसाधनों की कमी ने भी इस रिवाज को जन्म दिया।

बहुभ्रात विवाह के प्रमुख कारण

भूमि का विभाजन रोकने के लिए

हिमाचल के कई इलाकों में खेती की ज़मीन बेहद सीमित है। अगर हर भाई की शादी अलग-अलग लड़की से होती और संपत्ति का बंटवारा होता, तो ज़मीन छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाती। इससे खेती और जीवनयापन कठिन हो जाता। इसलिए, सभी भाई एक ही पत्नी रखते हैं और मिलकर खेती करते हैं।

पारिवारिक एकता बनाए रखने के लिए

एक ही पत्नी होने से सभी भाई एक ही परिवार में रहते हैं, जिससे पारिवारिक एकता बनी रहती है। इससे लड़ाई-झगड़े और संपत्ति विवाद की संभावना भी कम हो जाती है।

जीवन की कठिन परिस्थितियाँ

हिमाचल जैसे ठंडे और दुर्गम पहाड़ी इलाकों में जीवन आसान नहीं है। घर के सभी सदस्यों को मेहनत करनी पड़ती है। एक ही पत्नी के साथ रहने से खर्च कम होता है और श्रम विभाजन बेहतर होता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं

द्रौपदी विवाह की धार्मिक कथा को समाज ने अपने रीति-रिवाज के रूप में स्वीकार किया और इसे ‘धार्मिक अनुष्ठान’ का दर्जा दे दिया।

क्या यह परंपरा आज भी प्रचलित है?

वर्तमान में यह प्रथा बहुत सीमित क्षेत्रों में ही रह गई है। शिक्षा, सामाजिक जागरूकता और कानून के प्रभाव से नई पीढ़ी इस परंपरा को स्वीकार नहीं कर रही है। बहुत से युवाओं ने बहुभ्रात विवाह को अस्वीकार कर दिया है और वे एकल विवाह को तरजीह देते हैं। फिर भी, कुछ दूरदराज के गांवों में आज भी यह रिवाज सामाजिक स्वीकृति के साथ निभाया जाता है।

क्या दो भाइयों द्वारा एक ही महिला से शादी करना कानूनी है?

भारतीय कानून में एक महिला का एक से अधिक पुरुषों से विवाह अवैध माना गया है। भारतीय दंड संहिता (IPC) और विवाह अधिनियम के तहत, भारत में पॉलीएंड्री (Polyandry) को कानूनी मान्यता नहीं दी गई है। ऐसे विवाह सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होते और महिला को कानूनी अधिकारों जैसे उत्तराधिकार, तलाक, या गुज़ारा भत्ता में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

हालांकि, यदि यह विवाह पारंपरिक या सामाजिक स्तर पर हुआ हो और कोई पक्ष अदालत में इसकी वैधता को चुनौती न दे, तो कानून हस्तक्षेप नहीं करता। यही कारण है कि हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में यह प्रथा अभी भी मौन सहमति के आधार पर चल रही है।

समाज में बदलती सोच और नई दिशा

बीते कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश में शिक्षा और जागरूकता का स्तर बढ़ा है। लोग अब परंपराओं को वैज्ञानिक नजरिये से देखने लगे हैं। महिलाएं भी अब अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हुई हैं। नतीजतन, बहुभ्रात विवाह की प्रथा में भारी गिरावट आई है।
आज की युवा पीढ़ी इस परंपरा से दूर हो रही है और इसे पिछड़ेपन की निशानी मानती है।

निष्कर्ष (Conclusion):

हिमाचल की यह परंपरा निस्संदेह भारतीय समाज की विविधता और सांस्कृतिक गहराई का प्रतीक है। दो भाइयों द्वारा एक ही महिला से विवाह, चाहे आज की नजर में कितना भी असामान्य क्यों न लगे, मगर यह एक विशिष्ट सामाजिक व्यवस्था और जरूरतों से जुड़ा हुआ रिवाज रहा है।
हालांकि यह कानूनी रूप से मान्य नहीं है, फिर भी सामाजिक स्तर पर यह कभी एक सुव्यवस्थित और तर्कसंगत व्यवस्था मानी जाती थी।
अब समय बदल रहा है, और यह परंपरा धीरे-धीरे इतिहास बनती जा रही है — लेकिन इसे जानना, समझना और इसका विश्लेषण करना आज भी सांस्कृतिक अध्ययन के लिए बेहद जरूरी है।

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