मध्यप्रदेश के जबलपुर में 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा को उत्तर प्रदेश निवासी तनवीर आलम ने गेम Free Fire के ज़रिए दोस्ती कर और खुद को ‘पूजा शर्मा’ बताकर फंसाया। इस बातचीत में उसने नाबालिग को बहन जैसा भरोसा दिलाया। एक नाबालिग छात्रा की फ्री फायर गेम पर एक अजनबी से हुई दोस्ती उसके अपहरण तक जा पहुँची। आरोपी तनवीर आलम, जो उत्तर प्रदेश का रहने वाला है, ने खुद को ‘पूजा शर्मा’ नाम से पेश किया और छात्रा से बातचीत शुरू की। लंबे समय तक बात कर वह छात्रा का भरोसा जीतने में कामयाब रहा। आरोपी ने लड़की को बहन जैसे रिश्ते का झांसा देकर भावनात्मक रूप से फंसा लिया और फिर एक दिन उसे बहला-फुसलाकर रेलवे स्टेशन बुलाया। वहां से उसे ट्रेन में बैठाकर मुंबई भेज दिया गया। छात्रा जब असहज महसूस करने लगी तो उसने हिम्मत दिखाते हुए रेलवे पुलिस को जानकारी दी, जिसके बाद समय रहते उसे सुरक्षित बरामद कर लिया गया। वहीं आरोपी को भी मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया। इस पूरे मामले ने यह दिखा दिया कि आज के डिजिटल युग में बच्चे किस कदर ऑनलाइन जालसाजी का शिकार हो सकते हैं।
एक फर्जी पहचान, एक गेमिंग प्लेटफॉर्म और एक झूठा रिश्ता – इन सबका इस्तेमाल कर एक मासूम बच्ची को अपहरण के जाल में फंसा दिया गया। अगर छात्रा समय रहते साहस नहीं दिखाती या पुलिस तुरंत कार्रवाई नहीं करती, तो मामला और भी गंभीर रूप ले सकता था। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखना कितना जरूरी है। माता-पिता, शिक्षकों और समाज को इस बात की गंभीरता को समझना होगा कि केवल किताबों और स्कूल तक ही नहीं, अब सुरक्षा की दीवारें इंटरनेट और मोबाइल स्क्रीन तक खिंच चुकी हैं। यह सिर्फ एक मामला नहीं, बल्कि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एक चेतावनी है कि तकनीक के साथ समझदारी और सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है।
निष्कर्ष
यह मामला ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों की सुरक्षा की एक बड़ी संवेदनशील चेतावनी भी है। सोशल मीडिया या गेमिंग में दोस्ती करते समय पहचान की जाँच और सतर्कता बेहद ज़रूरी है।
इस केस में पुलिस द्वारा की गई तेज कार्रवाई और छात्रा की हिम्मत ने एक बड़ी त्रासदी को टाला है।
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