निमिषा प्रिया केस: ‘उसे तुरंत फांसी दो’ – यमन में भारतीय नर्स को सजा दिलाने पर अड़ा मृतक का परिवार

0
nimisha priya image

निमिषा प्रिया केस एक बार फिर चर्चा में है, जहां यमन में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर मृतक व्यक्ति के परिजनों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। मृतक व्यक्ति के भाई ने साफ शब्दों में कहा है कि “निमिषा प्रिया को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए, क्योंकि उसने हमारे भाई को बेरहमी से मारा है। हमें किसी भी कीमत पर इंसाफ चाहिए।”

कौन हैं निमिषा प्रिया?

निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली एक भारतीय नर्स हैं, जो काम के सिलसिले में यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक यमनी नागरिक मोहम्मद के साथ मिलकर मेडिकल क्लिनिक चलाना शुरू किया। शुरुआत में सब कुछ सामान्य था, लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच संबंध बिगड़ते चले गए। रिपोर्ट्स के अनुसार, मोहम्मद ने निमिषा से उसके पासपोर्ट और पहचान संबंधी दस्तावेज जबरन छीन लिए थे ताकि वह भारत न लौट सके।

हत्या का आरोप और परिस्थितियाँ

2017 में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसमें निमिषा प्रिया पर मोहम्मद की हत्या का आरोप लगा। आरोपों के अनुसार, उसने मोहम्मद को नींद की दवा देकर बेहोश किया और फिर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद शव के टुकड़े किए गए ताकि उन्हें छुपाया जा सके। निमिषा का दावा है कि वह उस व्यक्ति की प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी और आत्मरक्षा में उसने ये कदम उठाया।

यमन में कोर्ट का फैसला – मौत की सजा

इस हत्या को यमन की अदालत ने एक जघन्य अपराध मानते हुए निमिषा को मौत की सजा (फांसी) सुनाई। यमन का कानून बहुत सख्त है, विशेष रूप से हत्या के मामलों में। वहाँ “दिया कानून” के तहत अगर पीड़ित परिवार चाहें, तो मुआवज़ा लेकर सजा माफ कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए परिवार की रजामंदी जरूरी होती है।

मृतक के भाई का बयान – “हमें मुआवज़ा नहीं, फांसी चाहिए”

हाल ही में मृतक मोहम्मद के भाई ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे किसी भी कीमत पर निमिषा को माफ नहीं करेंगे। उनका बयान था,
“न्याय तभी पूरा होगा जब निमिषा को फांसी दी जाएगी। वह एक हत्यारिन है और माफी के लायक नहीं है। हमें दिया (मुआवजा) नहीं चाहिए। हमारा भाई गया है, अब उसकी हत्या का बदला चाहिए।”

इस बयान से भारत में चल रहे प्रयासों को एक बड़ा झटका लगा है, क्योंकि माफ़ी के बिना यमन का कानून फांसी की सजा पर अमल कर सकता है।

भारत में हो रहा विरोध और समर्थन

भारत में कई सामाजिक संगठन, मानवाधिकार कार्यकर्ता और खासकर केरल की जनता निमिषा प्रिया को बचाने के लिए अभियान चला रहे हैं। “Save Nimisha” कैंपेन चलाया जा रहा है और विदेश मंत्रालय से अनुरोध किया जा रहा है कि वे कूटनीतिक माध्यम से हस्तक्षेप करें। कुछ कार्यकर्ताओं का मानना है कि निमिषा आत्मरक्षा में यह कदम उठाने को मजबूर हुई थी और उसे न्याय नहीं मिला।

कूटनीतिक प्रयास और चुनौतियाँ

भारत सरकार, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय इस मामले में सतर्क है और यमन सरकार से बातचीत की कोशिश कर रहा है। हालांकि, जब तक मृतक के परिजन ‘दिया’ स्वीकार नहीं करते, तब तक इस सजा को टालना बेहद मुश्किल हो सकता है। भारत के लिए यह एक मानवीय, कूटनीतिक और कानूनी चुनौती बन चुकी है।

निष्कर्ष: न्याय या प्रतिशोध?

निमिषा प्रिया केस अब सिर्फ एक कानूनी मामला नहीं रह गया है, यह इंसाफ और मानवीय अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है। जहां एक ओर पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत में कई लोग मानते हैं कि यह आत्मरक्षा का मामला था और निमिषा को एक और मौका मिलना चाहिए। यमन का कानून और भारतीय समर्थन, दोनों के बीच फंसी है एक महिला की ज़िंदगी — जिसका फैसला अब आने वाले समय में होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed