भारत को चीन नहीं, भारत बनना चाहिए – रघुराम राजन की आर्थिक चेतावनी का असली मतलब क्या है?

0
raghuram-rajan

भारत तेजी से वैश्विक मंच पर अपनी आर्थिक पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाएं यह दिखाने की कोशिश हैं कि भारत अगला मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। लेकिन इसी बीच भारत के पूर्व रिज़र्व बैंक गवर्नर और दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में से एक, डॉ. रघुराम राजन ने एक चौंकाने वाली बात कही – “भारत को ‘अगला चीन’ बनने की दौड़ छोड़ दे, क्योंकि इस दुनिया में अब एक और ड्रैगन के लिए जगह नहीं है।”

यह बयान केवल एक आलोचना नहीं, बल्कि भारत के आर्थिक भविष्य को लेकर एक गहरी और दूरदर्शी चेतावनी है। आइए समझते हैं कि उनका इशारा किस दिशा में है, और भारत को अब क्या करना चाहिए।

चीन जैसा विकास मॉडल अब प्रासंगिक नहीं

रघुराम राजन का तर्क सीधा है – 1980-2000 का चीन एक खास समय और परिस्थिति का परिणाम था। उस समय दुनिया को एक सस्ते, तेज़ और केंद्रीकृत उत्पादन केंद्र की ज़रूरत थी, जो चीन ने पूरा किया। लेकिन आज वैश्विक सप्लाई चेन विविध हो गई है, देशों में राजनीतिक अस्थिरता को लेकर सतर्कता बढ़ी है, और ऑटोमेशन व AI ने मानव श्रम पर निर्भरता कम कर दी है।

अब सवाल है: क्या भारत उसी पुराने मॉडल से सफलता पा सकता है? शायद नहीं।

भारत की असली ताकत – युवा

राजन मानते हैं कि भारत के पास जो ताकत है, वो चीन से अलग है – विश्व की सबसे बड़ी युवा आबादी, तेजी से बढ़ता डिजिटलीकरण, और एक सशक्त सेवा क्षेत्र। भारत को केवल मैन्युफैक्चरिंग की ओर झुकने के बजाय, शिक्षा, हेल्थकेयर, रिसर्च और इनोवेशन पर भारी निवेश करना चाहिए।

अगर देश अपने युवाओं को स्किल्ड नहीं बनाएगा, तो यह डेमोग्राफिक डिविडेंड भविष्य में एक सामाजिक संकट बन सकता है।

भारत को चाहिए ‘स्मार्ट विकास’ न कि ‘सस्ते श्रमिक’ टैग

राजन ने यह बात विशेष रूप से कही कि भारत को ‘लो-कॉस्ट लेबर मार्केट’ के रूप में नहीं, बल्कि ‘हाई-वैल्यू और स्मार्ट प्रोडक्शन हब’ के रूप में खुद को तैयार करना चाहिए। इसका अर्थ है – टेक्नोलॉजी, डिज़ाइन, IP, रिसर्च और वैश्विक इनोवेशन में भारत की अग्रणी भूमिका। आज Apple जैसी कंपनियां भारत आ रही हैं, लेकिन सवाल यह है – क्या भारत केवल असेंबली करेगा या अगली बार “मेड इन इंडिया बाय इंडिया” डिवाइस भी बनाएगा?

क्या ‘मेक इन इंडिया’ विफल है?

नहीं, लेकिन यह अधूरा है। ‘मेक इन इंडिया’ को अब ‘इन्वेंट इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’ और ‘लर्न इन इंडिया’ से जोड़ना होगा। केवल फैक्ट्रियों की संख्या बढ़ाना काफी नहीं है। राजन का इशारा इस ओर है कि भारत को होलिस्टिक डेवलपमेंट मॉडल अपनाना होगा – जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, मानव संसाधन, पर्यावरण और सामाजिक न्याय – सबका संतुलन हो।

भविष्य की ओर देखना ज़रूरी है

अगर भारत आज सही नीतियां बनाता है – तो वह 2030 तक न केवल आर्थिक महाशक्ति बन सकता है, बल्कि एक ऐसा लोकतांत्रिक मॉडल पेश कर सकता है जो चीन की सत्तावादी प्रणाली से बेहतर और टिकाऊ हो। भारत को खुद पर भरोसा करना होगा, न कि दूसरों की नकल करने पर।

निष्कर्ष

रघुराम राजन की चेतावनी महज़ एक अलार्म नहीं, बल्कि एक दिशा-सूचक है। यह वक्त है कि भारत खुद को “अगला चीन” नहीं बल्कि “पहला भारत” बनने की दिशा में तैयार करे। हमें चाहिए इनोवेशन, स्किलिंग, डिजिटल नेतृत्व और नीति-निर्माण में दूरदृष्टि। तभी भारत सच में एक आत्मनिर्भर, समावेशी और वैश्विक आर्थिक शक्ति बन पाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed